सर्जिकल स्ट्राईक 2 – भारत का एबोटाबाद क्षण

क्या आपको 2 मई 2011 का दिन याद है? जब पूरी दुनिया सो रही थी, अमेरिका ने पाकिस्तान के एबटाबाद पर हमला किया और उस दिन कुख्यात आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को अल्लाह के पास पहुंचाया था। ऐबटाबाद में एक आलिशान हवेली में वह पांच साल तक रहा था। इस्लामाबाद से महज 65 किलोमीटर दूर एबटाबाद में पाकिस्तान का सैन्य प्रशिक्षण संस्थान और पाकिस्तान सेना की छावनी भी है। वह इमारत जहां लादेन रह रहा था पाकिस्तानी सेना अकादमी कुछ दूरी पर थी।अमेरिकी सैनिकों ने बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान चलाकर लादेन को खत्म कर दिया।

आज, 26 फरवरी 2019 का दिन इसी तरह दर्ज किया जाएगा। जब अधिकांश भारतीय सो रहे थे उस समय भारत ने पाकिस्तान पर हवाई हमले किए कई आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया। प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, हमले में 200-300 आतंकवादी मारे गए हैं।

भारतीय वायु सेना के 12 मिराज-2000 विमानों ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में बालाकोट पर हमला किया। खास बात यह है, कि सितंबर 2015 में सर्जिकल स्ट्राइक के विपरीत इन हमलों के बारे में कोई अस्पष्टता नहीं है। क्योंकि स्वयं पाकिस्तानी सेना ने ही माना है, कि भारतीय वायु सेना ने मुजफ्फराबाद सेक्टर में नियंत्रण रेखा का उल्लंघन किया है। “भारतीय वायुसेना के हवाई जहाज मुज़फ्फराबाद सेक्टर में घुसे। पाकिस्तानी वायु सेना से समय पर और प्रभावी उत्तर दिए जाने के बाद हड़बड़ी में बम डालकर वे बालाकोट से बाहर निकल गए। जान या माल की कोई हानि नहीं हुई है,” इस तरह का ट्वीट पाकिस्तान सेना की मीडिया विंग इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक मेजर जनरल आसिफ गफूर ने किया।

अर्थात्, इसे गीदड़ भपकी ही कहा जाना चाहिए क्योंकि इसमें कोई संदेह नहीं है कि मिराज विमानों के हमलों के कारण आतंकवादी शिविर ध्वस्त हो गए हैं। सूत्रों ने एएनआई को बताया, कि पाकिस्तान के (अमेरिका से मिले हुए) एफ -16 विमानों ने मिराज 2000 विमानों की दिशा में उड़ान भरी, लेकिन भारतीय विमानों का आकार देखते हुए वे हवाई जहाज लौट गए। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार तो लगभग 200-300 लोग मारे गए हैं।

https://platform.twitter.com/widgets.js

भारत के विदेश सचिव विजय गोखले ने भी इन हमलों की पुष्टी की। उन्होंने बताया कि भारतीय वायु सेना ने मंगलवार को तड़के सीमापार स्थित आतंकी गुट जैश ए मोहम्मद के ठिकाने पर बड़ा एकतरफा हमला किया जिसमें बड़ी संख्या में आतंकवादी, प्रशिक्षक, शीर्ष कमांडर और जिहादी मारे गए।

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान मारे गए थे। तब से भारत सरकार पर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव था। लगभग हर कोई जानता था, कि भारत द्वारा कोई न कोई कार्रवाई की जाएगी। स्वयं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी कहा था, कि भारत कोई असाधारण कार्रवाई करनेवाला है। इसलिए सीमा पर तनाव बढ़ गया था और पाकिस्तान ने दावा किया था, कि वह किसी भी घटना का सामना करने के लिए तैयार है।

पाकिस्तान का यह दावा कितना खोखला था यह मंगलवार को सामने आया। एबटाबाद में जैसे पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसियों को कोई सुराग दिए बिना अमेरिकी सैनिकों ने लादेन को समाप्त किया, उसी तरह यह हमला किया गया। पाकिस्तान के रडार और अन्य सुरक्षा प्रणालियों को धता बताकर भारतीय वायु सेना ने अपने पराक्रम के चिन्ह आकाश में दर्ज किए। यह पूरी कार्रवाई पूरे 21 मिनट तक चल रही थी। हमारे जांबाज सैनिकों का आत्मविश्वास और साहस इससे दृगोचर होता है। पुलवामा में हमले के 11 दिनों के बाद भारतीय सैनिकों ने उन 40शहीदों का बदला लिया। आज तक पत्र व्यवहार, संदेश और चर्चाओं के मार्ग पर चलनेवाले भारत के इतिहास में इस तरह की कार्रवाई होना एक अभूतपूर्व घटना है। भारत को हजारों घावों द्वारा खून से लथपथ करना (ब्लीडिंग थ्रू थाउजेंड कट्स) पाकिस्तान का षड्यंत्र है। यह पाकिस्तान का भारत के खिलाफ छद्म युद्ध है। भारत को उसे ज्यों का त्यों जवाब देना चाहिए, यह सभी भारतीयों की कई दशकों से इच्छा थी।

‘पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दो,’ इस तरह की मांग करते हुए देशवासियों का गला सुख गया था, जबकि इस तरह की जवाबी कार्रवाई का आश्वासन देते हुए नेताओं की कई पिढ़ियां गुजरी। लेकिन स्थिति जस की तस थी। कुत्ते की पूंछ की तरह पाकिस्तान में सुधार नहीं हुआ और न ही सुधार होगा। उसे सबक सिखाना एक ऐतिहासिक आवश्यकता थी और आज लोगों को उस क्षण का अनुभव मिल गया है। वायु सेना और सरकार को इसकी हार्दिक बधाई!

पुलवामा हमला – यह युद्धज्वर किसलिए?

पुलवामा के नृशंस हमले के 100 घंटे बीतने से पहले आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के शीर्ष नेतृत्व का खात्मा किया गया है। 15 वें कॉर्प के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल के. एस. ढिल्लों ने सोमवार को मीडिया के समक्ष यह जानकारी दी।
लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लों ने कहा कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कारवां पर हुए हमले में पाकिस्तान में छुपे हुए और आईएसआई से समर्थन प्राप्त जैश के नेतृत्व का हाथ था। कामरान नामक आतंकी सरगना इस हमले के पीछे मास्टर माइंड था और उसे समाप्त कर दिया गया है। लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लों ने यह भी चेतावनी दी कि आप या तो हिंसा छोड़ दे अथवा मरने के लिए तैयार हैं।
पुलवामा हमला भारत की अंतरात्मा पर हुआ हमला है। जैश-ए-मोहम्मद ने खुद कबूल किया कि वह इस हमले के पीछे था। यह सारी दुनिया को पता है, कि जैश-ए-मोहम्मद संगठन पाकिस्तान में काम करता है। इस संगठन का नेता मसूद अजहर पाकिस्तान के दामाद की तरह रहता है। पाकिस्तान सरकार के खर्चे पर वह अस्पताल में उपचार (?) लेता है और वहाँ से हमले का आदेश देता है। इससे यही साबित होता है कि हमले के पीछे पाकिस्तान का सीधा हाथ है।
इस परिस्थिति में केंद्र सरकार पर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव न आता तो ही आश्चर्य था। यह आम जन भावना है, कि पाकिस्तान की नकेल कसनी ही होगी। इसके बारे में कोई दो राय नहीं है। लेकिन इसको लेकर शोरशराबा करने में कोई तुक नहीं है। ऐसा लगता है कि देश में समाचार चैनलों ने यह विवेक छोड़ दिया है। इसीलिए उन्होंने युद्ध करो, युद्ध करो का आग्रह सरकार से जारी रखा है। कुछ चैनलों ने तो सरकार को ऐसे सलाह देना शुरू कर दिया मानो वे खुद सेना प्रमुख हो।
एक ही झटके में हमारे 40 वीर जवानों के प्राण हरण करनेवाले इस हमले का बदला सरकार को लेना ही होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहकर इसके संकेत दिए हैं कि जो आग आपके दिल में लगी है वही मेरे दिल में है। खुद पाकिस्तान भी इससे वाकिफ है। यही वजह है कि इस घटना के पांच दिन बाद पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ी।
लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लों ने जो जानकारी दी वह इस कारवाई का केवल एक पहलू है। लेकिन पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देश के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए हमें कुछ युद्ध रणनीति बनानी होती है। युद्ध के मैदान में अपने बलाबल का हमें विचार करना पड़ता है। हम जैसे यह बात भूल ही गए है। चट मंगनी और पट शादी की तरह माजरा चल रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि पुलवामा ही नहीं, भारत में किसी भी आतंकवादी हमले से हमारा कोई लेना-देना नहीं है। इतना ही नहीं, अगर भारत हमला करता है, तो हमें मजबूर होकर उसका उत्तर देना पड़ेगा। इसका मतलब है कि पाकिस्तान परमाणु देश होने का फायदा उठाकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ब्लैकमेल कर रहा है। और चीन जैसा देश उसका साथ दे रहा है।


यह सब भूलाकर चैनल के बहादुर सरकार को कोस रहे है। वे पूछ रहे हैं कि एक सप्ताह खत्म होने के बाद भी वे कार्रवाई क्यों नहीं करते।
इस संबंध में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा निभाई गई भूमिका काफी समझदारी भरी है। गौरतलब है कि 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में अमरिंदर सिंह ने खुद हिस्सा लिया था।
उन्होंने कहा, कि पूरा देश भारतीय सैनिकों की हत्या पर संतप्त है और पाकिस्तान के खिलाफ कठोर कार्रवाई की उन्होंने मांग की। लेकिन यह कार्रवाई सैन्य, राजनयिक या आर्थिक इन तीन स्तरों पर अथवा तीनों स्तर पर एक साथ की जानी चाहिए। “केंद्र सरकार को तय करना चाहिए कि कौन सी कार्रवाई की जाए, लेकिन कुछ कदम तुरंत उठाए जाने चाहिए। यह कोई नहीं कहता, कि आपको तुरंत लड़ना चाहिए, लेकिन यह नरसंहार मजाक नहीं है। कुछ करना होगा। मैं ऊब गया हूं, देश ऊब गया है,” उन्होंने कहा।
यह सच है, कि देश ऊब गया है और लगातार होनेवाले आघातों से व्यथित भी है। लेकिन इस तरह युद्धज्वर बनाना इसका हल नहीं है। यदि आप दुश्मन को खत्म करना चाहते हैं, तो आपको इसे शांत चित्त होकर ही करना होगा।
अफज़ल खान ने कई मंदिर तोड़ें, लोगों पर अत्याचार किया और गांव के गांव जलाए ताकि वाजी महाराज बाहर आए और भावनावश होकर लढ़ें। लेकिन महाराज ने अपना आपा नहीं खोया और खान को अपने जाल में खींचकर उसे समाप्त किया। इसलिए वे हिंदवी स्वराज्य तैयार कर सकें।
पाकिस्तान को सबक आज नहीं कल सीखाना होगा। लेकिन उसके लिए शोर-शराबा करते हुए दुश्मन के हाथ मजबूत करने की कोई आवश्यकता नहीं है।